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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
तथा मनुष्य नपुंसक उनसे असंख्यात गुणे हैं । (३) औपपातिक जन्म वालों अर्थात् देव स्त्री पुरुष और नारक नपुंसकों की अपेक्षा से नरक गति के नपुंसक सब से थोड़े हैं | देव उनसे असंख्यातगुणे तथा देवियाँ देवों से संख्यातगुणी । ( ४ ) चारों गतियों के स्त्री पुरुष और नपुंसकों की अपेक्षा सेमनुष्य पुरुष सब से कम हैं, मनुष्य स्त्रियाँ उनसे संख्यातगुणी, मनुष्य नपुंसक उनसे असंख्यातगुणे । नारकी नपुंसक उनसे असंख्यातगुणे, तिर्यञ्चयोनि के पुरुष उनसे असंख्यागुणे, तिर्यञ्च योनि की स्त्रियाँ उनसे संख्यातगुणी, देव पुरुष उनसे असंख्यातगुणे, देवियाँ उनसे संख्यातगुणी, तिर्यञ्चयोनि के नपुंसक उनसे अनन्तगुणे !
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( ५ ) जलचर, स्थलचर और खेचर तथा एकेन्द्रियादि भेदों की अपेक्षा से - खेचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनि के पुरुष सब से कम हैं । खेचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनि की स्त्रियाँ उनसे संख्यातगुणी हैं । स्थलचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनि के पुरुष उनसे संख्यातगुणे हैं, स्थलचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनि की स्त्रियाँ उनसे संख्यातगुणी, जलचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनि के पुरुष उनसे संख्यातगुणे, तथा स्त्रियाँ उनसे संख्यातगुणी हैं। खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनि के नपुंसक उनसे असंख्यातगुणे, स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनि के नपुंसक उनसे संख्यातगुणे, जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनि के नपुंसक उनसे संख्यातगुणे, चतुरिन्द्रिय तिर्यञ्च उनसे कुछ अधिक हैं, त्रीन्द्रिय उनसे विशेषाधिक हैं तथा बेइन्द्रिय उनसे विशेषाधिक हैं। उनकी अपेक्षा ते काय के तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, पृथ्वीकाय के नपुंसक उनसे विशेषाधिक, अकाय के उनसे विशेषाधिक, वायुकाय के उनसे विशेषाधिक, वनस्पतिकाय के एकेन्द्रिय नपुंसक उनसे अनन्तगुणे हैं ।