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________________ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला 'है, अरे, ओ' इत्यादि हैं। बिना चिह्न के भी इसका प्रयोग होता है। हिन्दी में सम्बोधन सहित आठ कारक माने जाते हैं। संस्कृत में सम्बोधन और सम्बन्ध को छोड़ कर छः । अंग्रेजी में इन्हें केस कहते हैं। केस तीन ही हैं- कर्ता, कर्म और सम्बन्ध । बाकी कारकों का काम अव्यय पद (Preposition ) जोड़ने से चलता है। ( वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी कारक प्रकरण ) ( अनुयोगद्वार) (ठाणांग, सूत्र ६०६) ५६६-- गण आठ १०८ काव्य में छन्दों का लक्षण बताने के लिए तीन तीन मात्राओं के आठ गण होते हैं। इनके स्वरूप और भेद इसी पुस्तक के प्रथम भाग बोल नं० २१३ में दे दिये गए हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं- १ मगण ( Sss ) २ नगरण (III) ३ भगण (SI) ४ यगण (ISS) ५ जगरण ( 15 ) ) ६ रगण ( 55 ) ७ सगण ( 115 ) : तगण (ss|) | 's' यह चिह्न गुरु का है और '।' लघु का । गणों का भेद जानने के लिए नीचे लिखा श्लोक उपयोगी हैमस्त्रिगुरु स्त्रिलघुश्च नकारो, भादिगुरुः पुनरादिलघुर्यः । जो गुरुमध्यगतो रलमध्यः, सोऽन्तगुरुः कथितोन्तलघुस्तः अर्थात्-मगण में तीनों गुरु होते हैं और नगण में तीनों लघु । भगण में पहला अक्षर गुरु होता है और यगरण में पहला लघु । जगरण में मध्यमाक्षर गुरु होता है और रगण में लघु । सगण में अन्तिम अक्षर गुरु होता है और तगण में अन्तिम लघु । ( पिंगल ) (छन्दोमञ्जरी ) ५६७ - स्पर्श आठ ( १ ) कर्कश - पत्थर जैसा कठोर स्पर्श कर्कश कहलाता है। (२) मृदु - मक्खन की तरह कोमल स्पर्श मृदु कहलाता है । ( ३ ) लघु- जो हल्का हो उसे लघु कहते हैं। ( ४ ) गुरु - जो भारी हो वह गुरु कहलाता है ।
SR No.010510
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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