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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह
- (१) आषाढ़ का कृष्णपक्ष, (२) भाद्रपद का कृष्णपक्ष. (३) कार्तिक का कृष्णपक्ष, (४)पौष का कृष्णपक्ष, (५) फाल्गुन
का कृष्णपक्ष, (६) वैशाख का कृष्णपक्ष । ____ (ठा० ६ सू० ५२४) (चन्द्रप्रज्ञप्ति १२प्राभृत) (उत्तराध्ययन अ० २६ गा० १५) ४३४-अधिक तिथिवाले पर्व छः
सूर्यमास की अपेक्षा छः पत्तों में एक एक तिथि बढ़ती है। वे इस प्रकार हैं:-(१) आषाढ का शुक्लपक्ष, (२) भाद्रपद का शुक्लपक्ष, (३) कार्तिक का शुक्लपक्ष, (४) पौष का शुक्लपक्ष, (५) फाल्गुन का शुक्लपक्ष, (६) वैशाख का शुक्लपक्ष ।
(ठाणांग ६ सू० ५४२) (चन्द्र प्रज्ञप्ति १२ प्राभूत) ४३५ -जम्बूद्वीप में छः अकर्मभूमियाँ ___जहां असि, मसि और कृषि किसी प्रकार का कर्म (आजीविका) नहीं होता, ऐसे क्षेत्रों को अकर्म भूमियाँ कहते हैं । जम्बूद्वीप में छः अकर्म भूमियाँ हैं—(१) हैमवत (२) हैरण्यवत, (३) हरिवर्ष, (४) रम्यकवर्ष, (५) देवकुरु (६) उत्तरकुरु ।
(ठाणांग ६ उ० ३ सू० ५२२) ४३६-मनुष्य क्षेत्र छः ___ मनुष्य अढाई द्वीप में ही उत्पन्न होते हैं। उसके मुख्य छः विभाग हैं। यही मनुष्यों की उत्पत्ति के छः क्षेत्र हैं। वे इस प्रकार हैं-(१) जम्बूद्वीप, (२)पूर्वधातकी खण्ड, (३) पश्चिमधातकी खण्ड,(४)पूर्वपुष्कराध,(५)पश्चिमपुष्कराध(६)अन्तर्वीप।
(ठाणांग ६ उ० ३ सू० ४६०) ४३७-मनुष्य के छः प्रकार
मनुष्य के छः क्षेत्र ऊपर बताए गये हैं । इनमें उत्पन्न होने