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श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला
देवता द्वारा हरण होने पर तो सभी क्षेत्रों में सभी सामायिक पाए जा सकते हैं। (जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति वनस्कार २)(ठा० ६ सू० ४६२) (विशेषावश्यकभाष्य गा० २७०८.१०) ४३२-ऋतुएं छः दो मास का काल विशेष ऋतु कहलाता है। ऋतुएं छः होती हैं(१) आषाढ और श्रावण मास में प्रावट ऋतु होती है। (२) भाद्रपद और आश्विन मास में वर्षो । (३) कार्तिक और मार्गशीर्ष में शरद् । (४) पौष और माघ में हेमन्त । (५) फाल्गुन और चैत्र में वसन्त । (६) वैशाख और ज्येष्ठ में ग्रीष्म ।
(ठा०६ सू०।२३). .. ऋतुओं के लिए लोक व्यवहार निम्नलिखित है
(१) वसन्त-चैत्र और वैशाख । (२) ग्रीष्म-ज्येष्ठ और आषाढ । (३) वर्षा-श्रावण और भाद्रपद । (४) शरद-आश्विन और कार्तिक । (५) शोत-मार्गशीर्ष और पौष । (६) हेमन्त-माघ और फाल्गुन ।
(बृहद् होडाचक) ४३३-न्यूनतिथि वाले पर्व छः
अमावस्या या पूर्णिमा को पर्व कहते हैं। इनसे युक्त पक्ष भी पर्व कहा जाता है। चन्द्र मास की अपेक्षा छः पक्षों में एक एक तिथि घटती है। वे इस प्रकार हैं