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श्रीसेठिया जैन ग्रन्थमाना
देने लगेगा। शारीरिक स्वास्थ्य और कुछ बातें तो दो मिनट का अभ्यास हो जाने पर भी नजर आने लगेंगी। ___ माणायाम का अभ्यास हो जाने के बाद मेस्मेरिज्म, हिमाटिज्म, त्राटक, वशीकरण आदि सभी सिद्धियाँसरल होजाती हैं। विशेष जानने के लिए इस विषय की दूसरी पुस्तकें पढ़नी चाहिएं। ___माणायाम का अभ्यास करते समय पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए । तेल, खटाई, लाल मिर्च और शरीर में तेजी लाने वाली वस्तुएं नहीं खानी चाहिएं। दूध घी वगैरह चिकने पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए । आहार, निद्रा आदि सब कार्य नियमित रूप से करने चाहिएं अर्थात् न वे अधिक हो न कम । गीता के दूसरे अध्याय में लिखा है
नास्यभतस्तु योगोऽस्ति, न चैकान्तमनभतः। नचा तिस्वमशीलस्य, जाग्रतो नैव चार्जुन ॥ युक्ताहारविहारस्य, युक्तचेष्टस्य कर्मसु । युक्तस्वमावबोधस्य, योगो भवति दुःखहा।। अर्थात् हेअर्जुन ! जो मनुष्य अधिक खाता है या बिल्कुल नहीं खाता, बहुत सोता है या बिल्कुल नहीं सोता वह योग को प्राप्त नहीं कर सकता । जो व्यक्ति आहार, विहार और अपने सभी कार्यों में नियमित रहता है वही दुःख का नाश करने वाले योग को प्राप्त करता है।
(योग शास्त्र ५ प्रकाश) (राजयोग, स्वामी विवेकानन्द) ( Peace & Personality) (हय्योग दीपिका )
( कल्याण साधनाक X गीता २ अध्याय) ५६०- नरक सात
घोर पापाचरण करने वाले जीव अपने पापों का फल भोगने के लिए भषोलोक के जिन स्थानों में पैदा होते हैं उन्हें नरक