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श्री सेठिया जैन ग्रन्थ माला
प्रमाण चार्वाक केवल प्रत्यक्ष को प्रमाण मानते हैं । बौद्ध प्रत्यक्ष और अनुमान दो को । कोई कोई बौद्ध केवल प्रत्यक्ष को ही प्रमाण मानते हैं । जैनदर्शन में प्रत्यक्ष और परोक्ष दो प्रमाण माने गए हैं। प्रत्यक्ष के फिर स्मरण, प्रत्यभिज्ञान, तर्क, अनुमान और आगम पाँच भेद हैं।
सत्ता चार्वाक, वैभाषिक, सौत्रान्तिक और जैन मत के अनुसार संसार की सभी वस्तुओं में पारमार्थिक सत्ता है । योगाचार ज्ञान में पारमार्थिक सत्ता और बाह्यवस्तुओं को मिथ्या मानता है।माध्यमिक सत्ता को नहीं मानते। उन के मत में सभी शुन्य है।
उपयोग ___ चार्वाक दर्शन की शिक्षा मनुष्य को पक्का नास्तिक बनाती है। स्वर्ग, नरक और मोक्ष की चिन्ता छोड़ कर इसी जीवन को आनन्दमय बनाना चाहिए यही बात सिखाने में चार्वाक मत की उपयोगिता है।
बौद्ध दर्शन के अनुसार जब तक आत्मा का अस्तित्व है तब तक दुःखों से छुटकारा नहीं मिल सकता। इसलिए दुःख मिटाने के लिए अपने अस्तित्व को ही मिटा देना चाहिए। इस प्रकार दुःख से छुटकारा पाने की शिक्षा देना ही बौद्ध दर्शन का उपयोग है।
जैनदर्शन के अनुसार आत्मा अनन्त गुणों का भण्डार है। जैमदर्शन उन आत्मगुणों के विकास का मार्ग बताता है । आत्मा का पूर्ण विकास हो जाना ही मोक्ष है और यही परम पुरुषार्थ है।