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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
बौद्ध दर्शन को सुगत दर्शन भी कहते हैं । बौद्ध साधु मुंडन कराते हैं , चर्मासन और कमण्डलु रखते हैं और रक्त गेरुआ वस्त्र पहनते हैं । ये लोग स्नानादि शौच क्रिया करते हैं । बौद्ध मत में धर्म, बुद्ध और संघ रूप रत्नत्रय है। इस मत में विपश्यी, शिखी, विश्वभू, क्रुकुच्छन्द, काश्चन, कश्यप और शाक्यसिंह (बुद्ध) ये सात तीर्थङ्कर माने गए हैं। इस शासन में विघ्नों को शान्त करने वाली तारा देवी मानी गई है। बुद्ध के नाम से यह मत बौद्ध कहलाता है । बुद्ध की माता का नाम मायादेवी और पिता का नाम शुद्धोदन था।
___ चार्वाक दर्शन ( जड़वाद ) . उपनिषदों के बाद आत्मा, पुनर्जन्म, संसार और कर्म के सिद्धान्त हिन्दुस्तान में लगभग सब ने मान लिए पर दो चार पन्थ ऐसे भी रहे जिन्होंने आत्मा और पुनर्जन्म का निराकरण किया
और जड़वाद की घोषणा की । बुद्ध और महावीर के समय में अर्थात् ईसा पूर्व ६-५ सदी में कुछ लोग कहते थे कि मनुष्य चार तत्वों से बना है, मरने पर पृथ्वी तत्त्व पृथ्वी में मिल जाता है, जल तत्त्व जल में मिल जाता है । अग्नि तत्त्व अग्नि में मिल जाता है और वायु तत्त्व वायु में मिल जाता है। शरीर का अन्त होते ही मनुष्य का सब कुछ समाप्त हो जाता है। शरीर से भिन्न कोई आत्मा नहीं है इसलिए पुनर्जन्म का प्रश्न पैदा ही नहीं होता । इन्हें लौकायतिक या चार्वाक कहा जाता था । इनकी कोई रचना अभी तक नहीं मिली है। कहा जाता है, चार्वाक दर्शन पर बृहस्पति ने सूत्र ग्रन्थ रचा था, इसलिए इस का नाम बार्हस्पत्य दर्शन भी है। जैन और बौद्ध ग्रन्थों के अलावा आगे चलकर सर्वदर्शनसंग्रह और सर्वसिद्धान्तसारसंग्रह