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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
पांच निकाय हैं- दीग्ध, मज्झिम, संजुत्त, अंगुत्तर और खुद्दक । इनमें सिद्धान्त और कहानियाँ हैं। (२) विनय पिटक, जिसके पांच ग्रन्थ पातिमोक्ख, महावग्ग, चुल्लवग्ग, सुत्तविभङ्ग और परिवर में भिक्खु तथा भिक्खुनियों के नियम हैं। (३) अभिधम्म पिटक, जिसके सात संग्रहों में तत्त्वज्ञान की चर्चा है । इनका मूल पाली भाषाका संस्करण लंका, स्याम और बर्मा में : माना जाता है और आगे का संस्कृत संस्करण नैपाल, तिब्बत
और एक प्रकार से चीन, जापान और कोरिया में माना जाता है । पाली ग्रन्थों की रचना सिल्वन् लेवी और कीथ आदि के मतानुसार तोसरी सदी के लगभग मानी जाती है । ____ आत्मा, पुनर्जन्म, कर्म, और संसार के सिद्धान्त बौद्धधर्म ने भी माने हैं । बौद्धधर्म का उद्देश्य है जीव को दुःख से छुड़ा कर परम सुख प्राप्त कराना । दुःख का कारण है तृष्णा और कर्मबन्ध । तृष्णा अज्ञान और मोह के कारण होती है । आत्मा को ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और मोह छोड़ना चाहिए। सच्चा ज्ञान क्या है ? यह कि जीव जड़ पदार्थों से भिन्न है, विश्व में कोई चीज स्थिर नहीं है, सब बदलती रहती हैं, प्रतिक्षण बदलती हैं, यह बौद्ध क्षणिकवाद है । आत्मा भी प्रतिक्षण बदलता रहता है, अनात्मा भी प्रतिक्षण बदलता रहता है। ये सिद्धान्त प्रायः सब बौद्ध ग्रन्थों में मिलते हैं पर इनकी व्याख्या कई प्रकार से की गई है । इनके अलावा और बहुत से सिद्धान्त भिन्न भिन्न शास्त्रों में धीरे धीरे विकसित हुए हैं और इन सब के आधार और प्रमाण पर सैकड़ों पुस्तकों में चर्चा की गई है।
बौद्धशास्त्र में बुद्ध के वाक्यों को प्रमाण माना है, बुद्ध भग. .. वान् सब सच्चे ज्ञान के स्त्रोत हैं, बुद्ध ने जो कुछ कहा है ठीक