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बीकानेर निवासी श्री भैरोंदानजी सेठिया द्वारा संकलित 'श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह' का प्रथम भाग पढ़कर मुझे बड़ा हर्ष हुआ। सेठियाजीभगवान् महावीर के सच्चे अनुयायी और जैन दर्शन के पुराने अभ्यासी हैं। इसलिए अपने हाथ में लिए हुए काम के वे पूर्ण अधिकारी हैं । पुस्तक जैन सिद्धान्त विषयक सूचनाओं की खान है इसकी विषय व्यवस्था ठाणांग सूत्र के अनुसार की गई है, जहाँ सभी विषय उनके उपभेदों की संख्या के अनुसार इकठे किए गये हैं। इसके फल स्वरूप पुस्तक का अधिक भाग ठाणांग सूत्र से लिया गया है । इस भाग में एक से लेकर पांच भेदों वाले पदार्थ एवं सिद्धान्त तथा ४२३ बोल संनिहित हैं।
बोलों का विचार या इन सिद्धान्तों का स्पष्टीकरण जैन दर्शन का अाधार स्तम्भ है । जैन साहित्य का विशाल प्रासाद इन्हीं पर खड़ा किया जा सकता है। इस कारण से यह पुस्तक जैन दर्शन के अभ्यासियों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगी। यह पुस्तक लिखकर सेठियाजी ने जैन साहित्य की बहुत बड़ी सेवा की है
और जैन विद्वानों को सदा के लिए अपना ऋणी बना लिया है। __पुस्तक के साथ लगी हुई विषय सूची ने इसकी उपयोगिता को बहुत बढ़ा दिया है । __ मैं इसके दूसरे भागों की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा हूं।
बनारसीदास जेन एम. ए. पी एच. डी युनिवर्सिटी लेक्चरर ओरिएण्टल कालेज, लाहोर ।