________________ 402 श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला चन्द्र, सूर्य और शुक्र ज्योतिषी देव हैं / बहुपुत्रिका सौधर्म देवलोक की देवी है / पूर्णभद्र, मणिभद्र, दत्त, शिव, बल और अनाहत ये छहों सौधर्म देवलोक के भगवान् महावीर राजगृह नगर के गुणशील चैत्य में विराजने थे / वहाँ ये सभी भगवान् महावीर के दर्शन करने के लिये आये और नाटक आदि दिखला कर भगवान् को वन्दना नमस्कार कर वापिस यथास्थान चले गये / गौतम स्वामी के पूछने पर भगवान महावीर स्वमी ने इनके पूर्व भव बताये और कहा कि ऐसी करणी (तप,आदि क्रिया) करके इन्होंने यह ऋद्धि पाई है / भगवान् ने यह भी बताया कि इस भव से चव कर ये चन्द्र, सूर्य और शुक्र महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध होंगे। बहुपुत्रिका देवी देवलोक से चत्र कर सोमा ब्राह्मणी का भव करेगी। वहाँ उसके बहुत बाल बच्चे होंगे / बाल बच्चों से घबरा कर सोमा ब्राह्मणी सुव्रता आर्या के पास दीक्षा लेगी और सौधर्म देवलोक में सामानिक सोमदेव रूप में उत्पन्न होगी। वहां से चव कर वह महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेगी और सिद्ध होगी / पूर्णभद्र, मणिभद्र आदि छहों देवता भी देवलोक से चव कर महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेंगे और वहाँ से मुक्ति को प्राप्त होंगे। ____ इस वर्ग में शुक्र और बहुपुत्रिका देवी के अध्ययन बड़े हैं / शुक्र पूर्व भव में सोमिल ब्रामण था / सोमिल के