________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह 401 (2) कप्प वडंसिया:-कप्पवडंसिया नामक द्वितीय वर्ग के दस अध्ययन हैं। (1) पद्म / (2) महापद्म / (3) भद्र। (4) सुभद्र। (5) पद्मभद्र / (6) पद्मसेन / (7) पद्मगुल्म। (8) नलिनी गुल्म। (8) आनन्द / (10) नन्दन। ये दमों निरयावलिका वर्ग के दस कुमारों के पुत्र महावीर के पास दीक्षा ली। प्रथम दो कुमारों ने पाँच वर्ष दीक्षा पर्याय पाली। तीसरे, चौथे और पाँचवें कुमार ने चार वप और छठे, सातवें, आठवें कुमार ने तीन वर्ष तक दीक्षापर्याय पाली / अन्तिम दो कुमारों की दो दो वर्ष की दीक्षापर्याय है / पहले आठ कुमार क्रमशः पहले से आठवें देवलोक में उत्पन्न हुए / नववां कुमार दसवें देवलोक में और दसवां कुमार बारहवें देवलोक में उत्पन्न हुआ। ये सभी देवलोक वहां से सिद्धगति (मोक्ष) को प्राप्त करेंगे। (3) पुफियाः-तृतीय वर्ग पुफिया के दस अध्ययन हैं। (1) चन्द्र। (2) सूर्य। (3) शुक्र। (4) बहुपुत्रिका। (5) पूर्णभद्र। (6) मणिभद्र। (7) दत्त / (8) शिव / (6) बल। (10) अनाहत /