________________ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला (3) पुफिया / (4) पुफ चूलिया। (5) वरिहदशा। (1) निरयावलिकाः-प्रथम निरयावलिका वर्ग के दस अध्याय हैं / (1) काल / (2) सुकाल / (3) महाकाल / (4) कृष्ण / (5) सुकृष्ण / (6) महा कृष्ण / (7) वीर कृष्ण। (E) राम कृष्ण। (6) सेन कृष्ण / (10) महा सेन कृष्ण / उपरोक्त दस ही श्रेणिक राजा के पुत्र हैं। इनकी माताएं काली, सुकाली आदि कुमारों के सदृश नाम वाली ही हैं / जिनका वर्णन अन्तकृदशा सूत्र में है / श्रेणिक राजा ने कूणिक कुमार के सगे भाई वेहल्ल कुमार को एक सेचानक गन्ध-हस्ती और एक अठारह लड़ी हार दिया था। श्रेणिक राजा की मृत्यु होने पर कूणिक राजा हुआ। उसने रानी पद्मावती के आग्रह वश वेहल्ल कुमार से वह सेचानक गन्धहस्ती और अठारह लड़ी हार मांगा / इस पर वेहल्ल कुमार ने अपने नाना चेड़ा राजा की शरण ली / तत्पश्चात् कूणिक राजा ने इनके लिये काल सुकाल आदि दस भाइयों के साथ महाराजा चेड़ा पर चढ़ाई की / नव मल्लि नव लिच्छवी राजाओं ने चेड़ा राजा का साथ दिया। दोनों के बीच रथमूसल संग्राम हुआ। ये दस ही भाई इस युद्ध में काम आये और मर कर चौथी नरक में उत्पन्न हुए। वहां से आयु पूरी होने पर ये महा विदेह क्षेत्र में जन्म लेंगे और सिद्ध होंगे।