________________ 376 श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह ३६५--पाँच प्रकार के मुण्ड: (1) क्रोध मुण्ड / (2) मान मुण्ड। (3) माया मुण्ड / (4) लोभ मुण्ड / (5) सिर मुण्ड / मन से क्रोध, मान, माया और लोभ को हटाने वाले पुरुष क्रमशः क्रोध मुण्ड, मान मुण्ड, माया मुण्ड और लोभ मुण्ड हैं। सिर से केश अलग करने वाला पुरुष सिर मुण्ड है। इन पाँचों में सिर मुण्ड द्रव्य मुण्ड है और शेष चार भाव मुण्ड हैं। (ठाणांग 5 सूत्र 443) ३६६-पाँच निर्ग्रन्थ: ग्रन्थ दो प्रकार का है। आभ्यन्तर और बाह्य / मिथ्यात्व आदि आभ्यन्तर ग्रन्थ है और धर्मोंपकरण के सिवा शेष धन धान्यादि बाह्य ग्रन्थ है। इस प्रकार बाह्य और आभ्यन्तर ग्रन्थ से जो मुक्त है वह निम्रन्थ कहा जाता निम्रन्थ के पाँच भेदः(१) पुलाक। (2) बकुश / (3) कुशील / (4) निर्ग्रन्थ / (5) स्नातक। (1) पुलाकः-दाने से रहित धान्य की भूसी को पुलाक कहते हैं। वह निःसार होती है। तप और श्रुत के प्रभाव से