________________ श्री जेन सिद्धान्त बोल संग्रह 361 प्रश्नाप्रश्न:-प्रश्न कर्ता अथवा दूसरे को, जाप की हुई विद्या अधिष्ठात्री देवी से, स्वम में कही हुई बात कहना अथवा कर्ण पिशाचिका और मन्त्र से अभिषिक्त घटिकादि से कही हुई बात कहना प्रश्नाप्रश्न है। निमित्तः-भूत, भविष्य और वर्तमान के लाभ, भलाम आदि ___भाव कहना निमित्त है। आजीवः-जाति, कुल, गण, शिल्प (आचार्य से सीखा हुआ), कर्म (स्वयं सीखा हुआ) बता कर समान जाति कुल आदि वालों से आजीविका करना तथा अपने को तप और श्रुत का अभ्यासी बता कर आजीविका करना आजीव है। कल्क कुरुका:-कल्क कुरुका का अर्थ माया है अर्थात्-धूर्तता द्वारा दूसरों को ठगना कल्ककुरुका है। अथवा:कल्क:-प्रसूति आदि रोगों में क्षारपातन को कल्क कहते हैं अथवा शरीर के एक देश को या सारे शरीर को लोद आदि से उबटन करना कल्क है। ब-कुरुकाः-शरीर के एक देश को या सारे शरीर को धोना ब-कुरुका है। लक्षणः-स्त्री पुरुष आदि के शुभाशुभ सामुद्रिक लक्षण बतलाना लक्षण कहा जाता है। विद्याः-देवी जिसकी अधिष्ठायिका होती है / अथवा जो साधी जाती है वह विद्या है। मन्त्रः-देवता जिस का अधिष्ठाता होता है वह मन्त्र है अथवा जिसे साधना नहीं पड़ता वह मन्त्र है।