________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह 347 पाँच कारण: पाँच कारणों से साधु साध्वियों को प्रथम प्रावट अर्थात् चौमासे के पहले पचास दिनों में अपवाद रूप से विहार करना कल्पता है। (1) राज-विरोधी आदि से उपकरणों के चोरे जाने का भय हो / (2) दुर्भिक्ष होने से भिक्षा नहीं मिलती हो। (3) कोई ग्राम से निकाल देवे। (4) पानी की बाढ़ आ जाय। (5) जीवन और चारित्र का नाश करने वाले अनार्य दुष्ट पुरुषों से पराभव हो। (ठाणांग 5 उद्देशा 2 सूत्र 413) 337 वर्षावास अर्थात् चौमासे के पिछले 70 दिनों में विहार करने के पाँच कारण: वर्षावास अर्थात् चौमासे के पिछले सत्तर दिनों में नियम पूर्वक रहते हुए साधु, साध्वियों को ग्रामानुग्राम विहार करना नहीं कल्पता है / पर अपवाद रूप में पाँच कारणों से चौमासे के पिछले 70 दिनों में साधु, साध्वी विहार कर सकते हैं। (1) ज्ञानार्थी होने से साधु, साध्वी विहार कर सकते हैं। जैसे कोई अपूर्व शास्त्रज्ञान किसी प्राचार्यादि के पास हो और वह संथारा करना चाहता हो। यदि वह शास्त्र ज्ञान उक्त