________________ 346 श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला सागारी से और सागारी की आज्ञा साधर्मिक से बाधित समझी जाती है। (अभिधान राजेन्द्र कोष द्वितीय भाग पृष्ठ 668) (आचारांग श्रुत स्कन्ध 2 अवग्रह प्रतिमा अध्ययन) (प्रवचन सारोद्धार गाथा 681-684) (भगवती शतक 12 उद्देशा 2) 335 पाँच महानदियों को एक मास में दो अथवा तीन बार पार करने के पाँच कारण: उत्सर्ग मार्ग से साधु साध्वियों को पाँच महानदियों (गंगा, यमुना, सरयू , ऐरावती और मही) को एक मास में दो बार अथवा तीन बार उतरना या नौकादि से पार करना नहीं कल्पता है। यहाँ पाँच महानदियां गिनाई गई हैं पर शेष भी बड़ी नदियों को पार करना निषिद्ध है। परन्तु पाँच कारण होने पर महानदियें एक मास में दो या तीन बार अपवाद रूप में पार की जा सकती हैं। (1) राज विरोधी आदि से उपकरणों के चोरे जाने का भय हो। (2) दुर्भिक्ष होने से भिक्षा नहीं मिलती हो। (3) कोई विरोधी गंगा आदि महानदियों में फेंक देवे। (4) गंगा आदि महानदियें बाढ़ आने पर उन्मार्ग गामी होजायँ, जिस से साधु साध्वी बह जाय। (5) जीवन और चारित्र के हरण करने वाले म्लेच्छ आदि से पराभव हो / (ठाणांग 5 उद्देशा 2 सूत्र 412)