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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
(१) ऊर्ध्व वेदिका:- दोनों घुटनों के ऊपर हाथ रख कर प्रतिलेखना करना ऊर्ध्व वेदिका है ।
(२) अधोवेदिका:-- दोनों घुटनों के नीचे हाथ रख कर प्रतिलेखना करना अधोवेदिका है ।
(३) तिर्यग्वेदिका:-- दोनों घुटनों के पार्श्व (पसवाड़े) में हाथ रख कर प्रतिलेखना करना तिर्यग्वेदिका है ।
(४) द्विधावेदिकाः — दोनों घुटनों को दोनों भुजाओं के बीच में करके प्रतिलेखना करना द्विधा वेदिका है ।
(५) एकतोवेदिका: -- एक घुटने को दोनों भुजाओं के बीच में करके प्रतिलेखना करना एकतोवेदिका है ।
(ठणांग ६ उद्देशा ३ सूत्र ५०३ )
३२३-पांच समिति की व्याख्या और उसके भेद:
प्रशस्त एकाग्र परिणाम पूर्वक की जाने वाली आगमोक्त सम्यक् प्रवृत्ति समिति कहलाती है । अथवा:
प्रणातिपात से निवृत्त होने के लिए यतना पूर्वक सम्यक प्रवृत्ति करना समिति है ।
समिति पांच हैं:
(१) ईर्यासमिति ।
(२) भाषा समिति ।
(३) एषणा समिति ।
(४) आदान भएड मात्र निक्षेपणा समिति ।