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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
अथवा:
मांगने पर कुपित होना और होते हुए भी न देना,
मत्सरिता अतिचार है ।
अथवा:
कपाय कलुषित चित से साधु को दान देना मत्सरिता अतिचार है ।
उपासक दशांग ) ( हरिभद्रीय आवश्यक पृष्ठ ८३७-३८)
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३१३ - अपश्चिम मारणान्तिकी संलेखना के पाँच अतिचार:अन्तिम मरण समय में शरीर और कपायादि को कृश करने वाला तप विशेष अपश्चिम मारणान्तिकी संलेखना है। इसके पाँच अतिचार हैं:
(१) इहलोकाशंसा प्रयोग
(३) जीविताशंसा प्रयोग
(२) परलोकाशंसा प्रयोग । (४) मरणाशंसा प्रयोग
(५) कामभोगाशंसा प्रयोग ।
(१) इहलोकाशंमा प्रयोगः - इहलोक अर्थात् मनुष्य लोक विषयक इच्छा करना । जैसे जन्मान्तर में मैं राजा, मन्त्री या सेठ होऊँ ऐसी चाहना करना इहलोकाशंसा प्रयोग अतिहै 1
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(२) परलोकाशंसा प्रयोगः -- परलोक विषयक अभिलाषा करना, जैसे मैं जन्मान्तर में इन्द्र या देव होऊँ, ऐसी चाहना करना, परलोकाशंसा प्रयोग अतिचार है ।