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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह
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अथवा मर्यादित क्षेत्र या घर आदि से अधिक क्षेत्र या घर यदि मिलने पर बाड़ या दीवाल वगैरह हटा कर मर्यादित क्षेत्र या घर में मिला लेना भी क्षेत्र वास्तु प्रमाणातिक्रम अतिचार है । व्रत की मर्यादा का ध्यान रख कर व्रती ऐसा करता है । इस लिये वह अतिचार है । इससे देशतः व्रत खंडित हो जाता है ।
(२) हिरण्य सुवर्ण प्रमाणातिक्रमः -घटित (घड़े हुए) और अघटित (विना घड़े हुए सोना चाँदी के परिमाण का एवं हीरा, पन्ना, जवाहरात, आदि के प्रमाण का अतिक्रमण करना हिरण्य सुवर्ण प्रमाणातिक्रम अतिचार है । अनुपयोग या अतिक्रम आदि की अपेक्षा से यह अतिचार है । जान बूझ कर मर्यादा का उल्लंघन करना अनाचार है । अथवा नियत काल की मर्यादा वाले श्रावक पर राजा प्रसन्न होने से श्रावक को मर्यादा से अधिक सोने चाँदी आदि की प्रप्ति हो । उस समय व्रत भङ्ग के डर से श्रावक का परिमाण से अधिक सोने-चांदी को नियत अवधि के लिये, अवधि पूर्ण होने पर वापिस ले लूंगा इस भावना से, दूसरे के पास रखना हिरण्य सुवर्ण प्रमाणातिक्रम प्रतिचार है ।
(३) धन धान्य प्रमाणातिक्रम - गणिम, धरिम, मेय, परिच्छेद्य रूप चार प्रकार का धन एवं सतहर या चौवीस प्रकार के धान्य की मर्यादा का उल्लंघन करना धन-धान्य- प्रमाणातिक्रम अतिचार है । वह भी अनुपयोग एवं अतिक्रम आदि की अपेक्षा से अतिचार है । अथवा मर्यादा से अधिक धन