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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला एकेन्द्रिय जीवों का समारम्भ करने वाले के पांच प्रकार का अमंयम होता है:(१) पृथ्वीकाय असंयम । (२) अप्काय असंयम । (३) तेजस्काय असंयम । (४) वायु काय असंयम । (५) वनस्पति काय असंयम ।
__ पञ्चेन्द्रिय जीवों का समारम्भ करने वाला पांच इन्द्रियों का व्याघात करता है । इस लिये उसे पाँच प्रकार का अमंयम होता है। (१) श्रोत्रेन्द्रिय असंयम (२) चक्षुरिन्द्रिय असंयम । (३) घ्राणेन्द्रिय असंयम (४) रसनेन्द्रिय असंयम ।
(५) स्पर्शनेन्द्रिय असंयम । सर्व प्राण, भूत, जीव और सत्त्व का समारम्भ करने वाले के पांच प्रकार का असंयम होता है:(१) एकेन्द्रिय असंयम (२) द्वीन्द्रिय असंयम । (३) त्रीन्द्रिय असंयम (४) चतुरिन्द्रिय असंयम । (५) पञ्चेन्द्रिय असंयम ।
(ठाणांग ५ सूत्र ४२६) २६८-संयम पाँच:
सम्यक् प्रकार सावध योग से निवृत्त होना या आश्रव से विरत होना या छः काया की रक्षा करना संयम है।