________________
२६६
श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह परिचय करना पर पापंडी संस्तव कहलाता है।
(उपासक दशांग सूत्र अध्ययन १)
(हरिभद्रीय आवश्यक पृष्ठ ८१० से १७) २८६-दुर्लभ बोधि के पाँच कारण:
पांच स्थानों से जीव दुर्लभ बोधि योग्य मोहनीय ___ कर्म बांधना है। (१) अरिहन्त भगवान् का अवर्ण वाद बोलने से। (२) अरिहन्त भगवान द्वारा प्ररूपित श्रुत चारित्र रूप धर्म का ___अवर्णवाद बोलने से। (३) प्राचार्य उपाध्याय का अवर्णवाद बोलने से । (४) चतुर्विध श्री संघ का अवर्णवाद बोलने से । (५) भवान्तर में उत्कृष्ट नप और ब्रह्मचर्य का अनुष्ठान किये हुए देवों का अवर्णवाद बोलने से।
(ठाणांग ५ सूत्र ४२६) २८७-मुलभ बोधि के पांच बोल:(१) अग्हिन्त भगवान् के गुणग्राम करने से । (२) अरिहन्त भगवान से प्ररूपित श्रुत चारित्र धर्म का गुणानु
वाद करने से। (३) आचार्य उपाध्याय के गुणानुवाद करने से ।। (४) चतुर्विध श्री संघ की श्लाघा एवं वर्णवाद करने से । (५) भवान्तर में उत्कृष्ट तप और ब्रह्मचर्य का सेवन किये हुए
देवों का वर्णवाद, श्लाघा करने से जीव सुलभ बोधि के अनुरूप कर्म बांधते हैं।
(ठाणांग ५ सूत्र ४२६)