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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला (१) प्राचार विनय । (२) भुन विनय । (३) विक्षेपणा विनय । (४) दोष निर्धातन विनय ।
(दशाश्रुत स्कन्ध दशा ४) २३०--आचार विनय के चार प्रकार:
(१) संयम समाचारी (२) तप समाचारी ।
(३) गण समाचारी (४) एकाकी विहार समाचारी (१) संयम समाचारी:-संयम के भेदों का ज्ञान करना, सत्तरह
प्रकार के संयम को स्वयं पालन करना, संयम में उत्साह देना, संयम में शिथिल होने वाले को स्थिर करना संयम
समाचारी है। (२) तप समाचारी-तप के बाह्य और आभ्यन्तर भेदों का ज्ञान
करना, स्वयं तप करना, तप करने वालों को उत्साह देना, तप में शिथिल होते हों उन्हें स्थिर करना तप
समाचारी है। (३) गण समाचारी-गण (समूह) के ज्ञान, दर्शन, चारित्र की वृद्धि
करते रहना, सारणा, वारणा आदि द्वारा भली भांति रक्षा करना, गण में स्थित रोगी, बाल, वृद्ध एवं दुर्बल साधुओं
की यथोचित व्यवस्था करना गण समाचारी है। (१) एकाकी विहार समाचारी-एकाकी विहार प्रतिमा का भेदो
पभेद सहित सांगोपाङ्ग ज्ञान करना, उसकी विधि को ग्रहण करना, स्वयं एकाकी विहार प्रतिमा का अंगीकार करना