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श्री सेठिया जैन पन्थमाला यदि नगण जानना हो, तो न के आगे के दो अक्षर “स ल" मिलाने से “नसल" हुआ अर्थात् जिसमें तीनों अक्षर लघु हों, वह नगण जानना चाहिए।
संक्षेप में यों कह सकते हैं कि भगण में आदि गुरु जगण में मध्य गुरु और सगण में अन्त गुरु और शेष अक्षर लघु होते हैं । ( 5 ) यह निशान गुरु का है और (1) यह निशान लघु का है । जैसे--
भगण ॥ यथा:-भारत जगणा यथा:-बगत सगण ॥ यथा:-भरती
यगण में आदि लघु, रगण में मध्य लघु और तगण में अन्त लघु और शेष अक्षर गुरु होते हैं:यगण
यथाः चराती ग्गण ऽ यथा:-भारती तगण । यथा:-मायालु
मगण में तीनों अक्षर गुरु और नगण में नीनों अक्षर लघु होते हैं। जैसे:--
मगण ऽऽऽ यथाः-जामाता नगण ॥ यथाः -भरत
मंक्षेप में इन आठ गणों का लक्षण इस प्रकार बतलाया गया है। यथा:आदिमध्यावसानेषु, भजसा यान्ति गौरवम् । यरता लाघवं यान्ति, मनौ तु गुरुलाघवम् ॥१॥