________________
१५२
श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला क्या असर पड़ता है ? मृत्यु से पहले जीवन कार्य के फल
का विचार । (३५) अणगागध्ययन:
गृह-मंमार का मोह, मंयमी की जवाबदारी, त्याग की मावधानता. प्रलोभन तथा दोष के निमित्त मिलने पर समभाव कोन रख सकता है ? निगमक्ति की वास्तविकता,
शरीर ममत्व का त्याग । (३६) जीवाजीव विभक्तिः
सम्पूर्ण लोक के पदार्थों का विस्तृत वर्णन, मुक्ति की योग्यता, मंमार का इतिहास, शुद्ध चैतन्य की स्थिति, संसारी जीवों की भिन्न भिन्न गतियों में क्या दशा होती है ? एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, तथा पश्चेन्द्रिय जीवों के भेद प्रभेदों का विस्तृत वर्णन, जड़ पदार्थों का वर्णन, सब की पृथक् पृथक स्थिति, जीवात्मा पर अात्मा का क्या असर पड़ता है ? फल हीन तथा सफल मृत्यु की साधना की कलुपित तथा सुन्दर भावना का वर्णन ।
इन सब बातों का वर्णन कर भगवान महावीर स्वामी
का मोक्ष गमन । (२) दशवकालिक सूत्रः
शयंभव स्वामी ने अपने पुत्र मनक शिष्य की केवल ६ माम आयु शेष जान कर विकाल अर्थात् दोपहर से लगा कर थोड़ा दिन शेष रहने तक चौदह पूर्व तथा अङ्ग शास्त्रों से दस अध्ययन निकाले । इम लिए यह सूत्र दशवकालिक