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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला __(३) आर्या को आहारादि देता हुआ। (४) आर्या को अशनादि दिलाता हुआ।
(ठाणांग ४ सूत्र २६०) १८४-श्रावक के चार प्रकार:
(१) माता पिता ममान (२) भाई समान (३) मित्र समान (४) मौत ममान । (१) माना पिता के ममान:-विना अपवाद के माधुओं के
प्रति एकान्त रूप से वत्सल भाव रखने वाले श्रावक
माता-पिता के समान हैं। (२) भाई के समान:-तत्त्व विचारणा आदि में कठोर वचन
से कभी साधुओं से अप्रीति होने पर भी शेष प्रयोजनों में अतिशय वत्मलता रखने वाले श्रावक भाई के
समान है। (३) मित्र के समानः-उपचार सहित वचन आदि द्वारा
माधुओं से जिनकी प्रीति का नाश हो जाता है। और प्रीति का नाश हो जाने पर भी आपत्ति में उपेक्षा करने वाले श्रावक मित्र के समान हैं।
मित्र की तरह दोषों को ढकने वाले और गुणों का प्रकाश करने वाले श्रावक मित्र के समान हैं।
(टब्बा ) (४) सौत के ममान-माधुओं में सदा दोष देखने वाले
और उनका अपकार करने वाले श्रावक सौत के समान हैं।
(ठाणांग ४ सूत्र ३२१)