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श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला (२) कोई पुरुष उक्त कार्यों के लिए अपनी बड़ाई तो नहीं
करने पर कार्य करने वाले होते हैं। (३) कोई पुरुष उक्त कार्यों के विषय में डींग भी हांकते
हैं और कार्य भी करते हैं। (४) कोई पुरुष उक्त कार्यों के लिए न डींग हांकने हैं। और न कुछ करते ही हैं।
(ठाणांग ४ उद्देशा ४ सूत्र ३४६) १७४-(क) मेघ के अन्य चार प्रकार:
(१) पुष्कर संवर्तक (२) प्रद्युम्न (३) जीमूत (४) जिह्म । (१) पुष्कर संवर्तकः--जो एक बार बरम कर दम हज़ार
वर्ष के लिए पृथ्वी को स्निग्ध कर देता है। (२) प्रद्युम्नः--जो एक बार बरम कर एक हजार वर्ष के
लिए पृथ्वी को उपजाऊ बना देता है। (३) जीमूतः -जो एक वार बरम कर दस वर्ष के लिए
पृथ्वी को उपजाऊ बना देता है। (४) जिमः-जो मेघ कई बार बरसने पर भी पृथ्वी को
एक वर्ष के लिए भी नियम पूर्वक उपजाउ. नहीं बनाता।
इसी तरह पुरुष भी चार प्रकार के हैं। एक पुरुप एक ही बार उपदेश देकर सुनने वाले के दुर्गणों को हमेशा के लिए छुड़ा देता है वह पहले मेघ के समान है। उससे उत्तरोनर कम प्रभाव वाले वक्ता दूसरे और तीसरे मेघ सरीखे हैं। बार बार उपदेश देने पर भी जिनका असर