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[ ६ ] भी विशेष उपयोगी सिद्ध होंगे । बोलों का यह वृहत् संग्रह उनके लिए 'जैन विश्वकोप' का काम देगा। साधारण स्कूल तथा पाठशालाओं के अध्यापक भी विद्यार्थियों के लिए उपयोगी तथा प्रामाणिक विषय चुनने में पर्याप्त लाभ उठा सकेंगे। उनके लिए यह प्रन्य एक मार्ग दर्शक और रत्नों के भण्डार का काम देगा। साधारण जिज्ञासुओं के लिए तो इसकी उपयोगिता स्पष्ट ही है ।
ग्रन्थ में आए हुए विपयों की सूची बालों के नम्बर देकर अकाराद्यनुक्रमणिका के अनुसार प्रारम्भ में दे दी गई है। इस से पाठकों को इच्छिन विपय हुँढने में सुविधा होगी।
__ चूँ कि इम पुस्तक की शैली में मंख्यानुक्रम का अनुसरण किया गया है । इस लिए पाठकों को एक ही स्थान पर सरल एवं सूक्ष्म भाव तथा विचार के बोलों का संकलन मिलेगा, परन्तु इस दशा में यह होना स्वाभाविक ही था । इस कठिनाई को हल करने के लिए कठिन बोलों पर विशेष रुप से मरल एवं विस्तृत व्याख्या दी गई हैं। कठिन और दुर्वाध विषयों को सरल एवं सुबोध करने के प्रयत्न में सम्भव है भावों में कहीं पुनरुक्ति प्रतीत हो, परन्तु यह तो जान बूझ कर पाठकों की सुविधा के लिए ही किया गया है।
___ ये शब्द इम लिए लिखे जा रहे हैं कि प्रेमी पाठकों को मेरे प्रयास के मूल में रही हुई भावना का पता लग जाये और वे जान लें कि जहां इसमें आत्मोन्नति की प्रेरणा है वहीं लोकोपकारी प्रवृत्ति भी है । ग्रन्थ के सम्बन्ध में जो कुछ कहा गया है वह पाठकों को अपने परिश्रम का आभास करा कर प्रभावित करने के लिए नहीं अपितु इस धार्मिक अनुष्ठान का समुचित आदर करने के लिए है । यदि वे मेरे इस कार्य से किचिन्मात्र भी आध्यात्मिक स्फूर्ति का अनुभव करेंगे तो लोक कल्याण की भावना को इससे भी सुन्दर और आध्यात्मिक साहित्य मिल सकेगा।