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जाती है।
श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह दम हजार कोड़ा कोड़ी सूक्ष्म क्षेत्र पन्योपम का एक सूक्ष्म क्षेत्र सागरोपम होता है। सूक्ष्म क्षेत्र पन्योपम और सूक्ष्म क्षेत्र सागरोपम से दृष्टिवाद में द्रव्य मापे जाते हैं। सूक्ष्म क्षेत्र सागरोपम से पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति और त्रस जीवों की गिनती की
(अनुयोगद्वार पृष्ठ १७६ आगमोदय समिति)
(प्रवचन सारोद्धार गाथा १७२७ से १७३०) ११०-नवीन उत्पन्न देवता के मनुष्य लोक में आने के तीन
कारण:-देवलोक में नवीन उत्पन्न हुआ देवता तीन कारणों से दिव्य काम भोगों में मूर्छा, मृद्धि एवं आसक्ति न करता हुआ शीघ्र मनुष्य लोक में आने की इच्छा करता है और आ सकता है।
(१) वह देवता यह सोचता है कि मनुष्य भव में मेरे प्राचार्य, उपाध्याय, प्रवर्तक, स्थविर, गणी, गणधर एवं गणावच्छेदक हैं। जिनके प्रभाव से यह दिव्य देव ऋद्धि, दिव्य देव द्युति और दिव्य देव शक्ति मुझे इस भव में प्राप्त हुई है । इसलिए मैं मनुष्य लोक में जाऊं और उन पूज्य प्राचार्यादि को वन्दना नमस्कार करूं, सत्कार सन्मान दं, एवं कल्याण तथा मंगल रूप यावत् उनकी उपासना करूं। (२) नवीन उत्पन्न देवता यह सोचता है कि सिंह की गुफा में कायोत्सर्ग करना दुष्कर कार्य है । किन्तु पूर्व उपभुक्त, अनुरक्त तथा प्रार्थना करनेवाली वेश्या के मन्दिर में रहकर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना उससे भी अति दुष्कर