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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला १०६--मागरोपम के नीन भेदः
(१) उद्धार मागरोपम (२) अद्धा मागरोपम ।
(३) क्षेत्र मागगेपम । उद्धार मागगेपमः--उद्धार मागरोपम के दो भेदः-सूक्ष्म और
व्यवहार । दस हजार कोड़ा कोड़ी च्यवहार उद्धार पल्योपम का एक व्यवहार उद्धार सागगेपम होता है। दस हजार कोड़ा कोड़ी सूक्ष्म उद्धार पल्योपम का एक सूक्ष्म उद्धार सागरोपम होता है।
ढाई सूक्ष्म उद्धार सागरोपम या पच्चीस हजार कोड़ा कोड़ी सूक्ष्म उद्धार पल्योपम में जितने समय होने हैं। उतने
ही लोक में द्वीप और समुद्र हैं। अद्धा सागरोपमः-अद्धा सागगेपम भी सूक्ष्म और व्यवहार के भेद से दो प्रकार का है।
दस हजार कोड़ा कोड़ी व्यवहार श्रद्धा पल्योपम का एक व्यवहार अद्धा सागरोपम होता है।
दस हजार कोडाकोड़ी सूक्ष्म अद्धा पल्योपम का एक सूक्ष्म अद्धा सागरोपम होता है।
जीवों की कर्मस्थिति, कायस्थिति और भवस्थिति सूक्ष्म श्रद्धा पल्योपम और सूक्ष्म अद्धा सागरोपम से मापी
जाती है। क्षेत्र सागरोपप:-क्षेत्र मागगेपम भी सूक्ष्म और व्यवहार के भेद से दो प्रकार का है।
दस हजार कोड़ाकोड़ी व्यवहार क्षेत्र पल्योपम का एक व्यवहार क्षेत्र सागरोपम होता है।