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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह
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के सामने निन्दा और गर्हणा करने वाला, अपमान करने वाला तथा प्रीतिपूर्वक अमनोज्ञ शनादि बहराने वाला जीव अशुभ दीर्घायु फल वाला कर्म बांधता है । (ठाणांग ३ सूत्र १२५ )
तीन स्थानों से
१०७ - जीव की शुभ दीर्घायु के तीन कारण: जीव शुभ दीर्घायु बांधता है ।
( १ ) प्राणियों की हिंसा न करने वाला
( २ ) झूठ न बोलने वाला
( ३ ) तथा रूप श्रमण, माहण को वन्दना नमस्कार यावत् उनकी उपासना करके उन्हें किसी प्रकार के मनोज्ञ एवं प्रीतिकारक अशनादिक का प्रतिलाभ देने वाला अर्थात् बहराने वाला जीव शुभ दीर्घायु बांधता है ।
( भगवती शतक ५ उद्देशा ६ ) १०८ - पल्पोपम की व्याख्या और भेदः - एक योजन लम्बे, एक योजन चौड़े और एक योजन गहरे गोलाकार कूप की उपमा से जो काल गिना जाय उसे पल्योपम कहते हैं ।
पल्योपम के तीन भेद:
( १ ) उद्धार पल्योपम ( २ ) श्रद्धा पल्योपम ( ३ ) क्षेत्र पल्योपम ।
उद्धार पल्योपमः -- उत्सेधांगुल परिमाण एक योजन लम्बा, चौड़ा और गहरा कुआ एक दो तीन यावत् सात दिन वाले देवकुरु उत्तरकुरु जुगलिया के बाल (केश) के अग्र भागों से इंस हंस कर इस प्रकार भरा जाय कि वे बालाग्र