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श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला निदान शल्यः राजा, देवता आदि की ऋद्धि को देख कर या
मुन कर मन में यह अध्यवसाय करना कि मेरे द्वारा आचरण किये हुए ब्रह्मचर्य, तप आदि अनुष्ठानों के फलस्वरूप मुझे
भी ये ऋद्धियों प्राप्त हों। यह निदान (नियाणा) शल्य है। मिथ्या दर्शन शल्यः-विपरीत श्रद्धा का होना मिथ्या दर्शन शल्य है।
(समवायांग ३)
(ठाणांग ३ सूत्र १८२) १०५-अल्प आयु के तीन कारण:
तीन कारणों से जीव अल्पायु फल वाले कर्म बांधते हैं। (१) प्राणियों की हिंसा करने वाला (२) झूठ बोलने वाला ( ३ ) तथा रूप ( साधु के अनुरूप क्रिया और वेश आदि से युक्त दान के पात्र ) श्रमण, माहण ( श्रावक ) को अप्रामुक, अकल्पनीय, अशन, पान, खादिम, स्वादिम देने वाला जीव अल्पायु फल वाला कर्म बांधता है।
(ठाणांग ३ सूत्र १२५)
(भगवती शतक ५ उद्देशा ६) १०६-जीव की अशुभ दीर्घायु के तीन कारण:-तीन स्थानों से
जीव अशुभ दीर्घायु अर्थात् नरक आयु बांधते हैं । (१) प्राणियों की हिंसा करने वाला (२) झूठ बोलने वाला (३) तथारूप श्रमण माहण की जाति प्रकाश द्वारा अवहेलना करने वाला, मन में निन्दा करने वाला, लोगों