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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह आत्म-भूत लक्षण:-जो लक्षण वस्तु के स्वरूप में मिला हुआ
हो उसे आत्मभूत लक्षण कहते हैं । जैसे अग्नि का लक्षण
उष्णता । जीव का लक्षण चैतन्य । अनात्मभूत लक्षण:-जो लक्षण वस्तु के स्वरूप में मिला हुआ
न हो उसे अनात्मभूत लक्षण कहते हैं। जैसे दण्डी पुरुष का लक्षण दण्ड । यहाँ दण्ड, पुरुष से अलग है । फिर भी वह दण्डी को अन्य पुरुषों से अलग कर उसकी पहिचान करा ही देता है।
(न्याय दीपिका)