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श्री सेटिया जैन ग्रन्थमाला यदि उपशम श्रेणी करने वाली स्त्री हो तो वह क्रमशः नपुंसक वेद, पुरुषवेद, हास्यादि छः एवं स्त्रीवेद का उपशम करती है । उपशमश्रेणी करने वाला यदि नपुंसक हो तो वह क्रमशः स्त्रीवेद, पुरुषवेद, हास्यादि छः और नपुंसक वेद का उपशम करता है । इसके बाद अप्रत्याख्यानावरण
और प्रत्याख्यानावरण क्रोध का एक साथ उपशम कर आत्मा संज्वलन क्रोध का उपशम करता है। फिर एक साथ वह अप्रत्याख्यानावरण और प्रत्याख्यानावरण मान का उपशम कर संज्वलन मान का उपशम करता है । इसी प्रकार जीव अप्रत्याख्यानावरण.माया और प्रत्याख्यानावरण माया का उपशम कर संज्वलन माया का उपशम करता है । तथा अप्रत्याख्यानावरण एवं प्रत्याख्यानावरण लोभ का उपशम कर अन्त में संज्वलन लोभ का उपशम शुरू करता है । संज्वलन लोभ के उपशम का क्रम यह है:-पहले आत्मा संज्वलन लोभ के तीन भाग करता है। उनमें दो भागोंका एक साथ उपशम कर जीव तीसरे भाग के पुनः मंग्व्यात खंड करता है । और उनका पृथक पृथक रूप से भिन्न २ काल में उपशम करता है। मंग्व्यात खंडों में से जब अन्तिम खंड रह जाता है तब आत्मा उसे फिर अमंग्व्यात खंडों में विभाजित करता है। और क्रमशः एक एक समय में एक एक खंड का उपशम करता है । इस प्रकार वह आत्मा मोह की सभी प्रकृतियों का उपशम कर देता है।
अनन्तानुबन्धी कषाय और दर्शन मोह की सात प्रकृतियों का उपशम करने पर जीव अपूर्व करण