________________
अम्पस्वामी चरित्र
हे भाई! तूने प्रत्यक्ष ही द्युत कर्मका महान खोटा फल प्राप्त कर लिया। यह भी निश्चयसे जान, तू परकोक्में भी तीव दुःख पावेगा। मईदासके वचनोंको सननेसे जिनदासका मन पापोंसे मयभीत होगा। रोगातुर होनेपर भी उसकी रुचि धर्मामृत पीनेमें होगई।
जिनदासने अहवासकी तरफ देखकर कहा कि वास्तवमें मैंने बहुन खोटे काम किये हैं। मैंने व्यसनोंके ममुद्रमै मगन होकर अपना समय घृभा खो दिया। हे भाई! मैं अपराधी हूं, मेरा त उद्धार कर । इस लोक में जैसा त मेरा सच्च हितैषी वधु है वैसा हे धर्मात्मा! तु मेरी पालो में भी सहायता कर। मईदास भी मिनदासके वरूणापूर्ण वचन सुनकर शुद्ध बुद्धि धारकर उपका धर्म साधन हो वैसा उआय करने लगा। मईदासके उपदेशसे जिनदासने श्रावको मणुवन ग्रहण कर लिये और तन समाधि. मरणसे मरके पुण्यके उत्यमे यह यक्ष हुआ है। इसीलिये हे राजन् ! मेरे व क्यों को सुनकर यह नाच रहा है। उसके मनमें बढ़ा हर्ष है कि मेरे वंशमें मंतिम सेवलीका जन्म होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है। यह विद्युन्मालीदेवका जीव महदास सेटका पुत्र जन्मेगा और यही जम्वृस्वामी नामका पारी अंतिम केवली होगा। ___ हे राजन् ! जम्बुस्वामीकी कथा बड़े मुनींद्र सत्धर्मकी प्राप्तिके हेतु वर्णन करेंगे । श्रेणिक महागज इस प्रकार भगवानकी दिव्यवाणी सुनकर व अपने इच्छित प्रश्नोंका समाधान करके बहुत प्रसन्न हमा । मोर घर लौटने की इच्छा करके भी जिनेन्द्रकी स्तुति गण