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जम्बूस्वामी चरित्र मिलता था । उसको पीकर लोग हृष्टपुष्ट रहते थे । मगध देशकी स्त्रियां स्वभावसे ही सुन्दर थीं । पुरुष स्वभावसे ही चतुर थे। जहां भर घर लें कन्याएं स्वभावही से मिष्टवादिनी थीं ।
मगध देशके लोग की अरहंतोंकी पूजा व पात्रदान में बड़ी प्रीतिरस्तते थे । ब्रह्मचर्य पालने में बड़े शक्तिशाली थे । अष्टमी, चौदशको प्रोषघोपवास करने में रुचिवान थे। कहा है---
यत्र सत्पात्रदानेषु प्रीतिः पूजासु चाईताम् । शक्तिरात्यतिकी शीले प्रोषधे च रतिर्नृणाम् ॥ २०८ ॥ नोट - इससे कविने यह दिखलाया है कि मगधदेश में जैन धर्मका दीर्घकालले प्रचार था । गृहस्थ लोग श्रानोंके नित्यकर्म सावधान थे तथा लाश देश बढ़ा सुखी था । प्रजा नानन्दर्भे समय विताती थी ।
राजगृही नगर वर्णन |
इस मगध देश के एक भागमें राजगृही नगरी शोभायमान थी। जहां के राजसुनट इन्द्र के समान सदा शोभते थे । इस नगर के बड़े बड़े प्रासादोंके ऊपर खपाए हुए सुवर्णके कलश शोभते थे । जिससे नगर निवासियों को आकाश में सैकड़ों चंद्रगाओंके चमकनेकी भ्रांति होती थी । वहां शिखरवंद श्री जिनमंदिर थे, जिनपर दण्ड सहित पताकाएं हिल रही थीं, जिनसे ऐसा मालूम होता था कि माकाशमें गंगा नदीके सैकड़ों प्रवाह बह रहे हैं ।
महकोंकी खिडकियोंमें या झरोखोंमें सुन्दर स्त्रियां अपना
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