________________
( ३६२ )
श्री जैन नाटकीय रामायण ।
पुत्रोंके, माताओंके, और नारियोंके लिये तथा प्रजाके लिये मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि सदा शान्ति रहे । (चारों ओर जय जय कार होती है।)
ड्राप गिरता है।
पंचम भाग समाप्त श्री जैन बाटकीय रामायण
सम्पूर्ण ।
A
: