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उद्देश्य
इस पुस्तक के लिखने का मेरा अन्य कोई उद्देश्य न होकर केवल इतना ही है कि इसके द्वारा जैन और अजैन समाज में जैन साहित्य की प्राचीनता और गूढ़ता का प्रचार हो । प्रत्येक स्थान की जैन समाज को उचित है कि धार्मिक अवसरों पर या प्रतिवर्ष इसको स्टेज पर खेलकर करोड़ों मनुष्यों के हृदय में सत्यता की धाक बैठावें।
किसी भी प्रकार की कुछ पूछताछ या सलाह के लिये मैं सदैव तय्यार हूं।