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पंचम भाग
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करने के लिये और कौन से भगवान प्रायेंगे रामचन्द्रजी केवल एक मनुष्य थे। किंतु पहले जन्म में वो देव थे। उनके पुण्यका उदय होने से उन्हें इतनी ख्याति प्राप्त हुई । भगवान को भक्तिको . हम लोग सबसे प्रथम घारते हैं भगवान से इस बात की प्रार्थना नहीं करते कि वह हमें कुछ दें। हम उनके गुणों का गान करते हैं। उनकी मूर्ति को श्रादर्श मानकर पूजते हैं जिससे वह गुण हम धारण करें और जिस प्रकार पूर्व पुरुषों ने जो कि अन्त में भावान कहनाये, अपना मार्ग रखा था, जिस मार्ग पर चले थे उसी मर्ग पर चलना सीख, इस लिये हर मनुष्य का यह कर्तव्य है कि प्रथम वो देखले कि जिम पूज रहा हूं वो पूजने योग्य है या नहीं बाद में उसमें श्रद्धा लावें । और उसके गुणों को गावें, जो पूजनीय भगवान हैं उनके तीन लक्षण हैं। प्रथम बोतरागता । अर्थात न किसी वस्तु से प्रेम न द्वेष । जिनके साथ स्त्री शस्त्र चक्र श्रादि पढार्थ हैं वो वीतराग नहीं, हैं। दूसरा लक्षण सर्वज्ञता है । जो तीनों लोकों की बात पूर्णतया जानता हो वही सर्वज्ञ है। उसी का उपदेश सच्चा माना जायगा जो सब बातों को जानता हो। जिसका ज्ञान अधूरा है। उसके वाक्य झूठ हो सकते हैं। तीसरा लक्षण हितोपदेशी पना है । जो हमें संसारिक जीवों को सच्चे हित मोक्ष का उपदेश दें । जो युद्ध आदि का या मारने काटने का उपदेश दे