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श्री जैननाटकीय रामायण
नारद - बस बन्द करो, ये युद्ध का बाजा । युद्ध रोकदो । रामचन्द्र ! पहचानो, ये तुम्हारे पुत्र हैं । इन पर तुम्हारी शक्तियां नहीं चल सकतीं ।
( दोनों रामचन्द्र के चरणों में जाकर प्रणाम करते हैं । ) रामचन्द्र - धन्य भाग मेरे जो ऐसे पुत्र पाये ।
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( सब लोग जय जयकार करते हैं । आकाश से पुष्प वर्षा होती है | सुन्दर बाजे बजते हैं। एक ओर राम खड़े हैं एक ओर लक्ष्मण, बीच में दोनों पुत्र हैं । सब राजा लोग इधर उबर खड़े हुवे हैं। सबके बीच में नारदजी खड़े हैं । ) ड्राप गिरता है द्वितीय अंक समाप्त |
क तृतीय- दृश्य प्रथम
( राज दर्बार में गम, लक्ष्मण, लव, कुश और सब राजा लोग उपस्थित हैं )
सखियों का नाच गाना
ओ री सखी नाचें गाँव आज सभी । राम औ लखन लवकुश मिले हैं सभी ॥ पुत्रोंका है संगम हुआ, इनको मुबारिक बाद है ।