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चतुर्थ भाग
( २८९)
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किस कारण से किस प्रकार आये ?
(आगे आ जाते हैं । पर्दा गिरता है।) दोनों-श्री मरथजी को हमारा नमस्कार ।
भामंडल-आप मुझे जानते होंगे, मैं भामण्डल हूं। ये हनुमान हैं। हम दोनों रामचन्द्रजी की सहायता कर रहे हैं। वहां पर रावण ने सीता को हरली थी, जिसके कारण युद्ध हो रहा है लक्ष्मण के रावण की शक्ति लगी है सो वो अचेत पड़े हुवे हैं। उन्हीं का समाचार देने हम आकाश मार्ग से आपके पास आयेहैं।
भरथ-शोक, शोक, महाशोक, आह रावण की इस प्रकार शक्ति बढ़ गई, कोई चिन्ता नहीं, में अभी अपनी सारी सेना लेकर भाप लोगों के साथ चलता हूं और उसको उसकी धृष्टता का देता हूं फल ।
हनुमान--इस समय क्रोध करने से काम न चलेगा । सारी सेना लंका में पड़ी हुई है। हम लोगों की सेना ही उसके लिये काफी है । बीच में समुद्र होने से आपकी सेना वहां तक जा भी न पायेगी। • भरथ-तो क्या करना चाहिये ? जिसमें भाई लक्ष्मणजी का हित होसके वो उपाय बताओ।
भामंडल-श्रापके राज्य में विशल्या नामकी कन्या है। उसके स्नान का जल हमें दिलवा दीजिये । उसका छींटा लक्ष्मण