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श्री जैन नाटकीय रामायण
पर, दोनों में घमासान युद्ध होरहा है। दोनों ओर के वीर लोग अपने प्राण दे रहे हैं । देखिये वो कैसा दृश्य है।
( दोनों चले जाते हैं। ( पर्दा खुलता है। रण के बाजे बज रहे हैं । भांति भांति के शब्द हो रहे हैं। वीर लोग वीरों से भिड़ रहे हैं। रण में लड़ लड़ कर गिरते हैं। उन्हींके ऊपर होकर
दुसरे युद्ध कर रहे हैं।) ड्राप गिरता है
अंक तृतिय-दृश्य प्रथम ( अयोध्या में महल में भरथजी सो रहे हैं। हनूमान
___ और भामण्डल आते हैं । ) हनुमान-पाधीरात के समय भरतजी सुख निद्रा में सो रहे हैं। यदि इनको जगायें तो कोपित होने का भय, नहीं जगायें तो उपर लक्ष्मण के प्राण जाते हैं । विशल्या बिना इनकी सहायता के नहीं मिल सकती।
भामण्डल-चाहे कुछ भी हो हमें भरथजी को जगाना पड़ेगा भरथजी बहुत सरल चित्त हैं वो कभी क्रोधित नहीं होंगे। देखो वो स्वयं ही जाग उठे।
भरथजी कहो भाइयों आप लोग इस समय यहां पर