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प्रभाविक चरित्र, प्रबंध चिंतामणि आदि ग्रथोंमें है. -श्री वीरात, १२७२, विकमात्, ८०२, वर्षे वनराज राजाने अणहिल्लपुर पाटण वसाया.
(३३) श्री विमलचंद्रसूरि.
(५७) (३४) श्री उद्योतनसूरि.
(३५) श्री सर्वदेवसूरि.इनोंकों श्रीवीरात्,१४६४, वर्षे वटवृक्ष हेठे सूरिपद देनेसें निग्रंथगच्छका पांचमा नाम वडगच्छ पडा. इनोंने विक्रमात्, १०१०, वर्षे राम सैन्यपुरमें श्री ऋषभदेव चैत्य तथा श्री चंद्रप्रभ चैत्यकी प्रतिष्ठा करी. तथा चंद्रावतीमें कुंकण मंत्रीकों प्रतिबोधके दीक्षा दीनी. अ-विक्रमात्, १०२६, तक्षशिलाकानाम गजनी हुआ. विक्रमात्, १०२९, धनपाल पंडितने देशी नाम
माला बनाइ. ब-विक्रमात्, १०९६, थिरापद्रीय गच्छमें उतराध्ययन
सूत्र बृहवृत्ति कर्ता श्री वादी वेताल शांति सूरिका स्वर्ग