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मीश्रणः ध्यानशतंकका कर्त्ता.
(५२)
(२९) श्री विबुधप्रभसूर.
(५३)
(३०) श्री जयानंदसूरि.
(५४)
(३१) श्री रविप्रभसूरि. इनोंने श्री वीरात्, ११७०, वर्षे नडोलनगर में श्री नेमिनाथकी प्रतिमाकी प्रतिष्ठा करी.
अ - श्री वीरात्, ११९०, उमाखाति युगप्रधान
(५५)
(३२) श्री यशोदेवसूरि. किसी पट्टावली में श्री यशोदेवसूरिके पाट उपर श्री प्रद्युम्नसूरि, और प्रघुम्न सूरिके पाटउपर श्री मानदेवसूरि उपधानवाच्य ग्रंथ कर्त्ता लिखे है, परंतुयहां उनोंकी अपेक्षा रहित लिखने में आया है.
अ - श्री वीरात्, १२७०, विक्रमात् ८०० वर्षे भाद्रशुदि तीजके दिन बप्पभट्ट आचार्यका जन्म हुआ. जिसने गवाली रके आम राजाकों जैनी बनाया. विक्रमात, ८९५ वर्षे स्वर्ग. इन श्री बप्पभट्टाचार्यका वृत्तांत