SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 233
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्तम् परिच्छेद : श्री जयशेरवरसूरि कृत जैनकुमारसम्भव एवं महाकवि कालिदास कृत कुमारसम्भव का तुलनात्मक अध्ययन कुमारसम्भव की आधिकारिक कथावस्तु के अन्तर्गत पार्वती जन्म-विवाह, कातिर्केय के जन्म की कथा, तारक वध रखा जा सकता है और मदनदहन, रति-विलाप तथा ब्रह्मचारी द्वारा पार्वती की परीक्षा कुमारसम्भव की प्रासंगिक कथावस्तु है। जैनकुमारसम्भव में सुमङ्गला के गर्भाधान संकेत "कौमारकेलिकलनाभिरमुष्य पूर्व-लक्षाः षडेकलवतांनयतः सुखाभिः। .. आद्या प्रिया गरभमेण दृशामभीष्टं, भर्तुः प्रसादमविनश्वरमाससाद"।। इसको आधिकारिक तथा इन्द्र द्वारा ऋषभदेव से विवाह हेतु की गयी स्तुति को प्रासंगिक कथा के अन्तर्गत रखा जा सकता है "तद्गेहि धर्मद्रुमदोहदस्य, पाणिग्रहस्यापि श्रवत्वमादिः। न युग्मिभावे तमसीव मग्नां महीमुपेक्षस्व जगत्प्रदीप"।" कुमारसम्भव की कथावस्तु चरित के अंकन एवं ऐतिहासिक पात्रों शंकर पार्वती, कुमार कार्तिकेय आदि के चित्रण के कारण पुराणाश्रित तथा ऐतिहासिक जैनकुमारसम्भव में इन्द्रादि देवों का चित्रण किया गया है तथापि इन्हें प्रभु रूप में स्वीकार किया गया है इस काव्य के नायक देव नहीं मानव है अतः इसे पौराणिक महाकाव्य की कोटि में रखा जा सकता है। ऐतिहासिक चरितो (ऋषभदेव, भरत आदि) के उल्लेख होने से यह ऐतिहासिक है। जैनकुमारसम्भव के लिए ऋषभदेव काव्य के नायक नहीं अपितु प्रभु २१७
SR No.010493
Book TitleJain Kumar sambhava ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyam Bahadur Dixit
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy