________________
( २३ ) करणी बना फिरता है स्त्रीलिंग शब्दको पुल्लिंग में लिखता है क्योकि यहां वादिनी लिखना चाहिये था इत्यादि।
हां संस्कृत आदि विद्यायोंका पढ़ना पढ़ाना तो हमभी बहुत अच्छा समझते हैं जिससे बने यथारीति पढ़ो परन्तु संस्कृतके पढ़नेसे मोक्ष होता है और नहीं पढ़नेसे नहीं ऐसा नहीं मानते हैं यदि संस्कृत पढ़नेसे ही मुक्ति होजाय तो संस्कृतके पढ़े हुये तो ईसाई पादरी और वैष्णव ब्राह्मण आदिक बहुत होते हैं क्या सबको मुक्ति मिल जायेगी यदि केवल संस्कृतके पढ़नेसेही सत्य धर्मकी परीक्षा हो जाय तो वेदों के बनानेवालोंको आत्मारामजी अपने बनाये अज्ञान तिमर भास्कर पुस्तक संवत् १९४४ का छपा पृष्ट १५५ पंक्ति ९।१० में अज्ञानी निर्दय
M