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( २२ ) हमको भी दिखाईथीं कि देखो आत्मारामजी कैसे प्रश्नोत्तर करते हैं तो उनमें एक चिट्ठी दयानन्दवालीमें लिखा हुआथा कि आत्माराम जीको भाषाभी लिखनीनहींआती है जो मुर्खको मुर्ष लिखता है और इन की बनाई पुस्तकों की अशुद्धियोंका हाल धनविजय संवेगी अपनी बनाई चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंकोद्धार संवत्१९४६ में अहमदावाद के छपमें लिखचुके हैं। ___ हां एक दो चेला चांटा पढ़वा लिया होगा परंतु पंजाबी पीतांबरी तो बहुलतासे यूं कहते हैं कि बल्लभविजय पुजेरा साधु संस्कृत बहुत पढ़ा हुआ है परन्तु बल्लभ अपनीकृत गप्पदीपिका शमीर नाम पोथी संवत् १९४८ की छपी पृष्ठ १४ में पंक्ति १४ मी लिखता है कि लिखनेवाली महामृषावादी सिद्ध हुई-यह देखो वैया