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(१३ ) विषय
पृष्ठ '' उत्तर-शास्त्र प्रमाणसे तो बारहवर्षों काल पोछे
ही सिद्ध होतो है ऐसा प्रमाण दिया है। १५१ २६ प्र.-सम्यक मल्योहार आत्माराम कृत गप्पदी
पिका समीर बल्लभ संवेगी रुत आदि ग्रन्य
और जो उन में प्रश्नों के उत्तर दिये हैं सो कैसे है? उत्तर-तुम ही देख लो हाथ कंगन को पारसी
क्या है दटियों को नर्क पड़ने वाले चमार टेढ
मुसल्मान शब्दोंसे लिखा है उसके उदाहरण १५४ २० प्र०-हमारी समझमें ऐसा आता है कि जो वेदमंत्रों । को मानने वाले हैं वह पुराणों के गपौडे नहीं
मानते हैं और नो पुराणों के मानने वाले है वह पुराणो के सब गपौडे. मानते हैं वैसे ही जो सनातन जैनी दंटिये हैं वह गणधर कत ३२ सूत्रों को मानते हैं ग्रन्थों के गपौड़ों को नहीं मानते हैं,पुजेरे मूर्ति पूजक ग्रन्यों के गोडे मानते हैं क्यों जो ऐसे ही है ?