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( १४ ) विषय
पृष्ठ उत्तर-और क्या।
-१५६ २८ प्र०-यह जो पाषाणोपासक आत्मापंथिये अपने
ग्रन्थों में कहीं लिखते हैं कि ढूंटक मत लोंके से निकला है जिसको ४॥ सौ वर्ष हुए हैं कहीं लिखते हैं लव जी से निकला है जिसको अनुमान अढाई सौ वर्ष हुये हैं यह सत्य है कि गप्प है ? उत्तर-गप्प है ढूंढक मत तो सनातन है हां संवेग मत पीताम्बर लाठा पन्थ अढ़ाई सौ वर्ष से निकला है यह ग्रन्थों के प्रमाण से सिद्ध ।
किया है। २८ प्र०-क्यों जी जैन सूत्रों में जैनसाधुओं को वस्त्रों
का रंगना मन्हें है।
उत्तर-हां मन्दे है इस मे प्रमाण भी दिये हैं। १६४ ३०प्र०-एक बात से तो हमको भी निश्चय हुआ है कि
सम्यक्तव शल्योहार आदि उक्त ग्रन्थोंके बनाने वाले मिथ्यावादी क्योंकि सम्यक्त्वशल्योहार