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साधु व्यासजीने भी नहीं कहतो फिरसिद्ध हुआ कि ढूंढक मत प्राचीन है २५० वर्ष से निकला मिथ्या वादी द्वेषसे कहते हैं |
उत्तर - तुम्ही समझ लो ॥
(३१) प्रश्न- क्योंजी यह निंदारूप झूठ और गालियें दुर्वचन दियों से सहित पूर्वोक्त पुस्तक इखवार बनाते हैं छपाते हैं उन्हें पापतो जरूर लगता होगा ।
उत्तर- अवश्य लगता है क्योंकि बनाने वाला जब झूठ और निन्दाके लिखनेका अधिकारी होता है तब उसका अन्तःकरण मलीन होनेसे पाप लगता है और जो उनके पक्षी उसे वांचते हैं तब उसझूठ की स्तुति करते हैं कि आहा क्या
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