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( १०१ ) १२.४० सालमा आत्मारामजीए अहमदाबाद समाचार छापामांव्याख्यानके अवसरे मोहरति बांधवो हम अच्छि जानतेहैं पर किसी कारण से नहीं बांधते हैं एहबाछाके विद्याशालानो वेठक नाश्रावकोए आत्मा रामजी ने पूछा साहेब ? आप मेहपटि बांधवी रूडी जानोछो तोबांधता के मन थी त्यारे आत्माजीए तेने पोताना रागी करवाने कह्या के हम इहां सेविहार करके पीछे बांधेगे पणहज नधी बांधता न थी ते कारणथी आत्माराम जी नु लिखको जुदान वोलवी जुदो अने चालयों जुदो अमने भासनथयो इत्यादि।अवदेखजिनसाधका उस वक्त अर्थात वेदव्यासक समय में भी यही भेपया आघा, पात्रा, सुखपट्टी मलेवस्त्र परन्त पालवस्त्र हायमें लाठा उघामह ऐसे जनक
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